अक्सर यह कहा जाता है कि कला जीवन को लुभाती है। और अगर सबसे ज्यादा ध्रुवीकरण वाले राजनीतिज्ञ डोनाल्ड ट्रम्प हों, तो आप देखेंगे कि अधिकांश की पहुंच से दूर उत्तर आधुनिक किसी रचना का हिस्सा भी भरोसा करने लायक होगा। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि लोकप्रिय द सिम्पसंस के एक एपीसोड में ट्रम्प के राष्ट्रपतित्व का भविष्य बेहद तबाही वाला बताया गया है। यह एपीसोड अमेरिका और उसके बाहर भी वायरल हो रहा है।
जब से वे अमेरिका के राजनीतिक पटल पर अवतरित हुए हैं, उसके एक साल से भी कम समय में ट्रम्प ने अपनी श्वेत-रूढ़िवादी मंडली को छोड़कर समाज के सभी वर्गों पर हमला किया है। उन्होंने अमेरिका के पड़ोसियों और मित्र- राष्ट्रों पर टिप्पणी की है। उन्होंने मैक्सिको वालों को ‘बलात्कारी’ और ‘अपराधी’ कहा और ऐलान किया कि वे मैक्सिकन अप्रवासियों को रोकने के लिए अमेरिका की दक्षिणी सीमा पर 2000 मील लंबी दीवार बना देंगे- और इसके लिए मैक्सिको से भुगतान कराएंगे। देश के संविधान से इतर- जो अप्रवासी पंजीकृत नहीं हैं, उन सभी को बाहर फिंकवा देने की धमकी दी है। इनमें अमेरिका में जन्मे बच्चे भी शामिल हैं।
आतंक के खतरों को लेकर, ट्रम्प ने यातना और ‘साम्रगिक नुकसान’ को लेकर नैतिकता के सभी मापदंड किनारे रख दिए हैं। उनकी भाषा बदले की भावना वाली है, वे अपने ट्रेडमार्क शेखी भरे अंदाज में भाषण देते हैं, पक्षपाती सोच वाली भीड़ हवस भरे अंदाज में खुशी से चीखती है। आईएसआईएस के खिलाफ युद्ध में आतंकियों के परिजनों को लक्ष्य बनाकर ट्रम्प इसे उनके आंगन तक खींच ले जाना चाहते हैं- उनकी इस घोषणा को युद्ध अपराध की वकालत माना जा रहा है।
वीभत्स बात यह है कि उन्होंने सभी मुस्लिमों के अमेरिका में प्रवेश पर एकतरफा रोक की वकालत की है। मुंह से झाग निकलने की हद तक, ट्रम्प ने महिलाओं पर अपमानजनक टिप्पणी की है, शारीरिक विकलांगता का मजाक उड़ाया है, प्रदर्शनकारियों को अपनी रैली से बाहर फिंकवाया है, पत्रकारों को अपमानित किया है।
प्रचार मंच से : जॉर्जिया की वालडोस्टा स्टेट यूनिवर्सिटी में बोलते हुए डोनाल्ड ट्रम्प
ऐसा लगता है, जैसे अपनी साख मजबूत करने के लिए उन्होंने राष्ट्रपति ओबामा के खिलाफ गलत अभियान छेड़ दिया है- अमेरिकी धरती पर उनके जन्म को चुनौती देते हुए उन्हें अयोग्य करार देने की मांग कर दी है। और, 2016 के चुनाव के लिए रिपब्लिकन पार्टी से नामांकन के लिए तेज दौड़ में दूसरे नामित नेताओं पर भी हमले किए हैं, उन्हें झूठा बताया है और गालियां बकी हैं।
जाहिर है, ट्रम्प अगर राष्ट्रपति बन गए तो क्या होगा- इसका अनुमान करते हुए द सिम्पसंस के एपीसोड में जिस भयावहता का चित्रण किया गया है, उससे दर्शकों में तीव्र और भावनात्मक प्रतिक्रिया हुई है। एक पात्र, बार्ट सिम्पसन को भविष्य में जाने का मौका मिलता है और देखता है ट्रम्प के व्हाइट हाउस छोड़ने के हफ्ते भर के भीतर ही देश बड़े आर्थिक कर्ज में फंस गया है, अपराध बढ़ गए हैं और चीन की एवं यूरोपीय मदद पर निर्भरता बढ़ गई है। इस एपीसोड को वर्ष 2000 में बनाया गया था। अभी कई अपडेट्स के साथ इसे नया जीवन मिला है। अमेरिका में और अमेरिका से बाहर कई लोग इसे देख रहे हैं। वे कह रहे हैं कि ट्रम्प का जीतना, एक बुरे सपने के साथ जीने जैसा होगा। भविष्य की कल्पना बताने में द सिम्पसंस के निर्माताओं का अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड रहा है। पिछले कई एपीसोड में अरब स्प्रींग और इबोला वायरस के खतरों के बारे में भविष्यवाणी की गई थी। कई अमेरिकी यह विश्वास करते हैं कि ट्रम्प वाला एपीसोड तब सही साबित होगा, जब यह नेता बना अरबपति रिपब्लिकन नॉमिनेशन हासिल करने में कामयाब हो जाए और, सबसे भयावह बात यह कि चुनाव जीत जाए।
लंदन स्थित वेबसाइट राय-अल-यम के संपादक अब्देल बारी अतवान कहते हैं, ‘एक अरब और एक मुस्लिम होने के नाते, मैं ट्रम्प के राष्ट्रपतित्व को लेकर डरा हुआ हूं।’ यह वेबसाइट अरब दुनिया की खबरें और विचार प्रकाशित करती है। अतवान के अनुसार, ‘उनका चुनाव अभियान निम्नतम स्तर पर पहुंच गया है। अमेरिकी मानस को विद्वेष, नस्लवाद और हिंसा का उकसावा दिया गया है।’ वे कहते हैं, ‘ट्रम्प दरअसल ‘सभ्यताओं का संघर्ष’ फिर शुरू करना चाहते हैं। मुस्लिमों के खिलाफ पश्चिम को खड़ा करना चाहते हैं। मुस्लिमों से वे बेलगाम दुश्मनी रखते हैं। आईएसआईएस के खिलाफ उनका अभियान इसलिए है कि वे ‘ईसाइयों को मार’ रहे हैं। इस तरह की सोच से अमेरिका की अपनी 30 लाख की मुस्लिम आबादी के हितों पर प्रभाव पड़ेगा और शांति भंग होगी।’
अमेरिका की आवाज : न्यू ऑरलियंस में ट्रम्प की एक जनसभा में पोस्टर लहराते प्रदर्शनकारी
लेकिन ट्रम्प के इस तुरुप के पत्ते को लेकर क्रोध और चिंता सिर्फ अमेरिकी आलोचकों या चिंतित मुसलमानों तक ही सीमित नहीं है। ट्रम्प के अगला राष्ट्रपति बन जाने पर उसके असर को लेकर यूरोप और नाटो में अमेरिका के कई मित्र राष्ट्र भी समान रूप से चिंतित हैं।
चुने जाने पर अमेरिका में मुसलमानों का प्रवेश बंद करने की उनकी घोषणा को लेकर, ब्रिटिश संसद में चर्चा की गई है, ‘क्या डोनाल्ड ट्रम्प खतरनाक हैं? या वे सिर्फ एक विदूषक हैं? ’ कुछ ने उन्हें ‘बेबाक और आक्रामक’ कहा है और कुछ ने ‘हास्यास्पद विदेशी-फोबिया’ से ग्रसित बताया है। पार्टी लाइन से इतर वहां के कई सांसद यह महसूस करते हैं कि ट्रम्प को ‘हमारे समुद्र तट के 1000 मील दूर’ ही रखा जाए। वे ब्रिटेन के उन कई याचिकाकर्ताओं का समर्थन कर रहे हैं, जो ट्रम्प के प्रवेश पर प्रतिबंध चाहते हैं।
लेकिन ट्रम्प को कितनी गंभीरता से लेना चाहिए?
वर्ष 2015 के मध्य में, जब वे रिपब्लिकन नॉमिनेशन के उम्मीदवारों की भीड़ में शामिल होकर डींगे मार रहे थे, तब उन्हें किसी ने गंभीरता से नहीं लिया था। हालांकि, उन्होंने 50 के मुकाबले एक वोट से नामांकन हासिल कर लिया था। सुपर ट्यूजडे को रिपब्लिकन कॉकस वाले सात समेत 11 राज्यों में जीत की श्रृंखला के बाद ट्रम्प काफी आगे चल रहे हैं। उन्हें चुनौती दे रहे टेड क्रूज और मार्को रुबियो की तुलना में ज्यादा लोकप्रिय हैं- स्त्री, पुरुष, बूढ़े, युवा, अमीर, गरीब, विवाहित, अविवाहित, आस्तिक, नास्तिक, कॉलेज की डिग्री वाले, बगैर डिग्री वाले, श्वेत, अश्वेत सभी के बीच। हालांकि, जीत के लिए महत्वपूर्ण बताए जा रहे लैटिन अमेरिकी मूल के मतदाता उनसे घृणा करते हैं। उनके मिशिगन और मिसिसिप्पी कॉकस ने शुक्रवार को दिखाया कि उनकी लोकप्रियता घट नहीं रही। अगले सप्ताह इलेनॉइस में भी उनकी जीत की संभावना है।
ट्रम्प को फॉलो करने वाले अमेरिका और दुनिया भर के लाखों उदारवादियों के खिलाफ उनके समर्थकों में अवमानना और घबराहट की भावना है। वे उनमें अतिरंजित और काल्पनिक गुण पाते हैं। अपनी धुनकी में वे मुद्दों पर से अपना रुख बदल रहे हैं और हमलावर टिप्पणियां कर रहे हैं- हास्यास्पद अकड़ के साथ। वे सोचते हैं कि उनके समर्थक ऐसा ही सुनना चाहते हैं।
यह बेहद विकृत लग सकता है, उन्हें जितनी कर्कश और अप्रिय टिप्पणियां मिल रही हैं, उनकी रेटिंग तेजी से बढ़ रही है। कई लोग यह मानते हैं कि ट्रम्प ईमानदार हैं और दूसरों के मुकाबले अप्रवासन और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर मुंहफट हैं।
बड़ी उम्मीद: हिलेरी क्लिंटन अपने पति बिल और बेटी चेल्सी के साथ इओवा कॉकस में
ट्रम्प के कई समर्थक सोचते हैं कि उनके हाथों में अर्थव्यवस्था सुरक्षित रहेगी, क्योंकि वे एक सफल रियल इस्टेट टाइकून रहे हैं। थोड़े ही लोग हैं जो उन्हें दिवालियापन की कगार तक पहुंचाने वाली विफल परियोजनाओं की उनकी कतार या उनके खराब कारोबारी समझ के बारे में जानते हैं।
उनके समर्थक अधिनायकवाद वाले उनके अंदाज से प्रभावित हो रहे हैं- वे जब लोगों पर मुकदमा करने की धमकी दे रहे हैं या फिर यह दावा कर रहे हैं कि उन पर दबाव बनाने के लिए दाखिल किए गए एक मुकदमे को रफा-दफा करने के लिए वे नहीं गए। हालांकि, हकीकत इसके ठीक उलट है। फिर भी, ऐसे एक व्यक्ति के धूमकेतु की तरह के अभ्युदय और विकास को कैसे परिभाषित किया जाए, जो रिपब्लिकन पार्टी में बाहरी है। और तो और, जिसका विरोध खुद जीओपी के कद्दावर लोग किए जा रहे हैं।
ट्रम्प को लेकर राजनीति के जानकारों की राय अलग-अलग है। कई मानते हैं कि रिपब्लिकन ने वे नीतियां अख्तियार कर लीं, जिससे पार्टी के मूल सिद्धांत कुंद हो रहे हैं। कई इसे अमेरिका में दक्षिणपंथी झुकाव के साथ बढ़ती अधिकारवादी प्रवृत्ति का प्रतिफल मानते हैं।
वेन्डरबिल्ट यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर मार्क हेदरिंग्टन कहते हैं, ‘इसके लिए रिपब्लिकन ही जिम्मेदार हैं। पिछले कई वर्षों में जिन चीजों से अधिकारवादी प्रवृति बढ़ी है, उनकी ओर रिपब्लिकन पार्टी काफी आकर्षित हुई है।’ उनके अनुसार, 1960 में जब जीओपी ने नागरिक अधिकार आंदोलन के खिलाफ रुख अपनाया था, रिपब्लिकन हर उस चीज के साथ थे, जिससे गैर-पारंपरिक समूहों को लाभ मिला- चाहे वे नारी अधिकारवादी हों, अप्रवासी हों, गे हों, लेस्बियन या अन्य कोई। ये सभी मुद्दे जनसंख्या में पकड़ बनाने के लिए सटीक हैं, लोगों को आकर्षित करते हैं। अल्पसंख्यक समूहों या अल्पसंख्यक विचारों के खिलाफ होना राजनीति के लिए अच्छा होता है, इससे रिपब्लिकन को चुनाव जीतने में बरसों मदद मिली है। लेकिन इससे मतदाताओं में ऐसा गठबंधन बना है, जिस पर पार्टी का कोई नियंत्रण नहीं रहा।’
वाशिंगटन एक्जामिनर के राजनीतिक विश्लेषक टिमोथी कार्नी कहते हैं, ट्रम्प के कई मुख्य समर्थक ‘पंजीकृत डेमोक्रेट मतदाता’ हैं। मध्य आयु के श्वेत, ग्रामीण डेमोक्रेट्स डेमोक्रेटिक पार्टी से नाराज हैं। वे अपने में रहते हैं, समलैंगिक विवाह के समर्थन में नहीं हैं और महसूस करते हैं कि अर्थव्यवस्था जबरदस्त कर रही है।
इस बीच, ओबामा ने उन्हें बताया है कि अर्थव्यवस्था अच्छी है और हिलेरी क्लिंटन का फ्री ट्रेड और अधिक से अधिक अप्रवासन को समर्थन देने रिकॉर्ड रहा है- ये बातें कम मजदूरी और बड़ी बेरोजगारी की संख्या के लिहाज से डरावनी हैं। कार्नी कहते हैं, ‘अमेरिका के कामगार वर्ग के गहरे असंतोष का ट्रम्प दोहन कर रहे हैं। अपने अप्रवासन विरोधी, कारोबार विरोधी संदेशों से कुछ लोगों को उन्होंने बखूबी समझा दिया है कि वे क्यों पीड़ित हैं। रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स- दोनों ही ने कामगार श्वेतों की अनदेखी की है।’
राजनीतिक विश्लेषक चार्ल्स मरे के पास ट्रम्प को लेकर ज्यादा निराशाजनक सिद्धांत हैं। वे तर्क देते हैं, ‘अगर आप ट्रम्प वाद से निराश हैं, तो यह मत सोचिए कि उन्हें रिपब्लिकन नॉमिनेशन नहीं मिलने पर यह समाप्त हो जाएगा।’ वे कहते हैं कि देश जिस रास्ते पर है, उसमें ट्रम्पवाद उम्मीद के मुताबिक बहुत से अमेरिकियों के वाजिब गुस्से की अभिव्यक्ति है। यह उस प्रक्रिया का अंतिम चरण है, जो देश में आधी शताब्दी से चली आ रही है : अपनी ऐतिहासिक राष्ट्रीय पहचान से अमेरिका का विचलन।
ऐसे में हमें उन्मादी डोनाल्ड जे. ट्रम्प को भारत में कैसे देखना चाहिए? द अटलांटिक के अनुसार, विदेश सचिव पद पर रहते हुए भारत की तुलना में पाकिस्तान की दोगुनी यात्राएं करने वाली हिलेरी ने पाकिस्तान को नियंत्रण में रखने के लिए जमकर काम किया। दूसरी ओर, ट्रम्प ने पाकिस्तान को ‘ईरान के बाद दुनिया का सबसे खतरनाक देश बताया है।’ इस चित्रण का उद्देश्य सीमापार से हो रहे आतंकी हमलों से पीड़ित भारत को प्रसन्न करना हो सकता है, जिसने पाकिस्तान को एफ-16 बेचने के ओबामा प्रशासन के फैसले पर उंगली उठाई है।
साउथ ब्लॉक में कई लोग अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में रिपब्लिकन को देखना चाहते हैं। वे तर्क देते हैं कि भारत को उनके समय में ज्यादा लाभ मिला है। उदाहरण के लिए, भारत-अमेरिकी एटमी संधि के लिए जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने लीक से हटकर काम किया।
लेकिन अपने सभी विजय संबोधनों में जंगली अंदाज में पक्षपात दिखाने वाले ट्रम्प क्या रिपब्लिकन नामांकन पा लेंगे? और क्या होगा अगर जीओपी ने उन्हें नामांकन देने से मना कर दिया?
दो संभावनाएं हैं : एक, पार्टी कॉकस में ट्रम्प की जीतों की संख्या अधिक होने के बावजूद, उनसे घृणा करने वाला रिपब्लिकन संस्थान, नामांकन से मना करेगा। तब इस बात की पूरी संभावना है कि ट्रम्प इस बात की कोशिश करेंगे कि पार्टी तोड़ दी जाए और वे निर्दलीय लड़ें। अतीत में ऐसा हो चुका है, जब थियोडोर रूजवेल्ट 1912 में पार्टी से अलग हो गए थे और पार्टी के नामित हॉवर्ड टैफ्ट के खिलाफ चुनाव लड़े थे। या यह 1964 जैसा हो सकता है, जब बेरी गोल्डवाटर और नेल्सन रॉकफेलर के बीच तीखे संघर्ष ने जीओपी समर्थकों को ही तोड़ दिया था। इसमें डेमोक्रेट लींडन बी. जॉनसन भारी मतों से जीत गए थे।
लिहाजा, अगर ट्रम्प की खतरनाक धमकियों से नफरत करने वाले विचारशील रिपब्लिकन उन्हें नामांकन पाने से नहीं रोक पाए, तब हो सकता है कि उनमें से ज्यादातर हिलेरी क्लिंटन जैसे किसी डेमोक्रेट नॉमिनी का समर्थन कर दें, जिनकी अभी बर्नी सैंडर्स के साथ रस्साकसी चल रही है।
ड्यूक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पीटर फीवर एक तीसरी संभावना के बारे में बता रहे हैं। अगर रिपब्लिकन पार्टी ट्रम्प के साथ चलती रहती है और वे चुनाव जीत जाते हैं, तब क्या होगा? फीवर कहते हैं, ‘कई चीजें, जिसे ट्रम्प प्रस्तावित कर रहे हैं, उन्हें कांग्रेस रोक देगी। कुछ उनके अपने वकील वैध तरीके से रोक देंगे, कुछ अवैध आदेशों का सैन्य प्रतिनिधि विरोध करने के लिए बाध्य होंगे।’ उनकी कुछ गंभीर चिंता भी है। वे कहते हैं, ‘मुझे सबसे बड़ी चिंता यही है कि यह दुनिया का सबसे ताकतवर राजनीतिक दफ्तर है और वे यहां अपने निहित अधिकारों का बेजा इस्तेमाल कर काफी क्षति कर देंगे। नतीजतन, वे हमारे सहयोगियों के साथ संबंधों को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं।’
दुनिया की उम्मीदें ट्रम्प के पहले ही दौर में छिटक जाने पर टिकी हुई हैं। अब जबकि इस बात की संभावना खत्म हो रही है, लोग एक मजबूत डेमोक्रेटिक उम्मीदवार पर निर्भर कर रहे हैं। दौड़ में आगे चल रहीं हिलेरी क्लिंटन के पक्ष में तेजी से माहौल बन रहा है। उनकी कथित कमियों- विशेषाधिकार वाली पृष्ठभूमि, दफ्तर में कुछ छिछले मुद्दे- के बावजूद अधिकांश अमेरिकियों के लिए वे सुरक्षित शर्त लगाने की तरह होंगी।
अनुवाद: दीपक रस्तोगी